कोयलिया बोली रे अमुआ की डार अपनो कोई नईआ रे

गायक - सुन्दरलाल विश्वकर्मा
स्पेशल काया भजन
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कोयलिया बोली रे
कोयलिया बोली रे अमुआ की डार, अपनो कोई नईआ रे
बिना राम रघुनंदन अपनो, कोऊ नईआ रे
बिना राम रघुनंदन अपनो, कोऊ नईआ रे
बिना राम रघुनंदन अपनो, कोऊ नईआ रे
बिना राम रघुनंदन अपनो, कोऊ नईआ रे
बाग लगाए बगीचा लगाए, और लगाए केला रे बालम
और लगाए केला
बाग लगाए बगीचा लगाए, और लगाए केला रे बालम
और लगाए केला
बाग लगाए बगीचा लगाए ,और लगाए केला रे बालम
और लगाए केला
जिस पिंजरा में प्राण निकल गओ, रह गओ चाम अकेला
अपनो कोई नईआ रे
बिना राम रघुनंदन अपनो, कोऊ नईआ रे
बिना राम रघुनंदन अपनो, कोऊ नईआ रे
कोयलिया बोली रे अमुआ की डार, अपनो कोई नईआ रे
बिना राम रघुनंदन अपनो, कोऊ नईआ रे
बिना राम रघुनंदन अपनो, कोऊ नईआ रे
छै महिना लो भाई
तीन दिना लो तिरिया रोवे, छै महिना लो भाई रे बालम
छै महिना लो भाई
जनम जनम लो माता रोवे, कर गओ आस पराई
अपनो कोई नईआ रे
बिना राम रघुनंदन अपनो, कोऊ नईआ रे
बिना राम रघुनंदन अपनो, कोऊ नईआ रे
कोयलिया बोली रे अमुआ की डार, अपनो कोई नईआ रे
बिना राम रघुनंदन अपनो, कोऊ नईआ रे
बिना राम रघुनंदन अपनो, कोऊ नईआ रे
पाँच पचासक बराती आ गए, ले चले चल होई रे बालम
ले चले चल होई
पाँच पचासक बराती आ गए, ले चले चल होई रे बालम
ले चले चल होई
कहत कबीर सुनो भाई साधु, जागत सबकी होई
अपनो कोऊ नईआ रे
बिना राम रघुनंदन अपनो, कोऊ नईआ रे
बिना राम रघुनंदन अपनो, कोऊ नईआ रे
कोयलिया बोली रे अमुआ की डार, अपनो कोई नईआ रे
बिना राम रघुनंदन अपनो, कोऊ नईआ रे
बिना राम रघुनंदन अपनो, कोऊ नईआ रे
कोयलिया बोली रे अमुआ की डार, अपनो कोई नईआ रे
बिना राम रघुनंदन अपनो, कोऊ नईआ रे
बिना राम रघुनंदन अपनो, कोऊ नईआ रे
बिना राम रघुनंदन अपनो, कोऊ नईआ रे
बिना राम रघुनंदन अपनो, कोऊ नईआ रे
बाग लगाए बगीचा लगाए, और लगाए केला रे बालम
और लगाए केला रे
और लगाए केला रे
बाग लगाए बगीचा लगाए ,और लगाए केला रे बालम
और लगाए केला रे
जिस पिंजरा में प्राण निकल गओ, रह गओ चाम अकेला
अपनो कोई नईआ रे
बिना राम रघुनंदन अपनो, कोऊ नईआ रे
बिना राम रघुनंदन अपनो, कोऊ नईआ रे
कोयलिया बोली रे अमुआ की डार, अपनो कोई नईआ रे
बिना राम रघुनंदन अपनो, कोऊ नईआ रे
बिना राम रघुनंदन अपनो, कोऊ नईआ रे
बिना राम रघुनंदन अपनो, कोऊ नईआ रे
बिना राम रघुनंदन अपनो, कोऊ नईआ रे